कानून में "रक्षण और मदद की जरूरतवाले बच्चों" की व्याख्या की गई है. जिसके अनुसार
1. कौटुंबिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजकीय और मुलकी संघर्षो के कारण कामचलाऊ या
स्थायीरूप से असरग्रस्त बच्चें तथा अस्पृश्यता और
सामाजिक-आर्थिक बाहिष्कार के भोग बने बच्चें और 2, ऐसे बच्चें जिनके माता-पिता
अथवा वाली अपने व्यवसाय और जीवननिर्वाह के कारण अथवा विकासलक्षी कार्यो, कानून का
अमल होने से या उनके कुटुंब की जमीन जैसे संसाधनो का राज्य द्वारा संपादन होने के
कारण उन्हें शिक्षण के अलावा प्राथमिक जरूरतें, कामचलाऊ अथवा अन्य किसी रूप में
उपलब्ध कराने में समर्थ ना हो. परप्रांत में से गुजरात में रोजीरोटी के लिये पलायन
करके आते इंट भठ्ठा, बी.टी. कॉटन में काम करते सभी मजदूरों के बच्चें " रक्षण और मदद की जरूरतवाले बच्चों" की व्याख्या में आते है. 2002 में हुए
नरसंहार के कारण, रीवरफ्रन्ट योजना के कारण, आंतरिक रूप से विस्थापित हुए सभी
बच्चें भी इस व्याख्या में आ जाते है.
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