सोमवार, 7 अक्तूबर 2013

होम - सीवीलाइज्ड न्यूसन्स

अहमदाबाद की सीवील अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डो. गणपत वणकरसाहब कहते है, "मेन्टल अस्पताल और जुवेनाइल होम नहीं होते तो पागल और तथाकथित जुवेनाइल अपराधी की ज्यादा परवरीश होती."  आज कल जिस तरह से मेन्टल अस्पतालों और जुवेनाइल होम्स का कारोबार चल रहा है इसे देखकर वणकरसाहब की बात बिलकुल सही लगती है. 33 बच्चे दिल्ली के जुवेनाइल होम को आग लगाकर भाग गए हैं. और मीडीया ने बहस छेड दी है कि इन होम्स में सुरक्षा के इंतजाम कम है! इनको कौन बतायेगा कि हमारे होम civilized nuisance बन चूके हैं.  

गोबेल्स का पोपरगंडा



गुजरात के पूर्व आरोग्यमंत्री जयनारायण व्यास दो दिन से मीडीया में कैग की कुपोषणवाली बात को जूठा साबित करने की कवायत कर रहे है. वह बता रहे थे कि पूरे देश में हर दूसरा बच्चा कुपोषित है, मगर गुजरात में हर तीसरा बच्चा कुपोषित है (तो यह बूरी बात नहीं है) और कैग ने पांच साल की एवरेज निकाली है. उनका कहना था कि गुजरात में चालीस लाख बच्चों का वजन किया जाता है और उनमें से सिर्फ बीस प्रतिशत बच्चे ही कुपोषित है. श्रीमान व्यास यहां यह बात आसानी से भूल गये कि गुजरात में 0-6 साल के बच्चों की संख्या 75 लाख है. इन सभी बच्चों को नजरअंदाज करके सरकार सिर्फ चालीस लाख बच्चों का वजन कर के कुपोषण कम दिखा रही है. तो यह है गोबेल्स का पोपरगंडा.