अहमदाबाद की सीवील
अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डो. गणपत वणकरसाहब कहते है, "मेन्टल अस्पताल और जुवेनाइल होम नहीं होते तो पागल और
तथाकथित जुवेनाइल अपराधी की ज्यादा परवरीश होती." आज कल जिस तरह से मेन्टल अस्पतालों और जुवेनाइल होम्स का
कारोबार चल रहा है इसे देखकर वणकरसाहब की बात बिलकुल सही लगती है. 33 बच्चे दिल्ली
के जुवेनाइल होम को आग लगाकर भाग गए हैं. और मीडीया ने बहस छेड दी है कि इन होम्स
में सुरक्षा के इंतजाम कम है! इनको कौन बतायेगा कि हमारे होम civilized nuisance बन
चूके हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें