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गुरुवार, 25 अप्रैल 2013

कैसे खेलेगा बचपन?




रास्ते की एक तरफ स्कुल, दूसरी तरफ क्रिंडागण,
 गांव डागला, तहेसील विजयनगर
 
किसी भी रास्ते के आसपास कोई स्कुल है तो "यहां नजदीक में स्कुल है" ऐसी चेतावनी आप देखेंगे. मगर आप गुजरात के आदिवासी क्षेत्र से गुजर रहे हैं तो आपको ऐसा कोई ट्राफीक साइन बोर्ड देखने को नहीं मिलेगा और आप ने रास्ते के एक तरफ प्राइमरी स्कुल और रास्ते की दूसरी तरफ बच्चों का खेल का ऐसा मैदान भी देख लिया तो भी परेशान मत होना. गुजरात के साबरकांठा जीले के विजयनगर तहसील में कई गांवो में ऐसा नज़ारा एक आम बात है.  
 

शनिवार, 28 जुलाई 2012

बीटी कोटन के सर्जनात्मक बाल मजदूर

गुजरात के बीटी कोटन के खेतों में हर साल जुलाई से
 सप्टेम्बर की मौसम में हजारों आदिवासी बच्चों को 
मजदूरी के काम में लगाया जाता है. 
 




















उन बच्चों में नाबालिग बच्चियां भी होती है, जिनका
यौन शोषण गुजरात के बुद्धिजीवियों, मीडीया तथा
शासक वर्ग के लिए शर्म की बात नहीं




पिछले साल यह बच्चे अपनी सर्जनात्मकता के नये
आयाम की तलाश में निकल पडे सांढोसी गांव में





सुबह पांच बजे से मजदूरी की चक्की में पिसते हाथों ने 
थाम लिया रंगो की दुनिया का रोमांच

यह महज संयोग नहीं था कि ज्यादातर बच्चों ने
कागज़ पर चित्रण किया हाथ का, जो उनके अस्तित्व का
मानो एक पर्याय ही था
हिन्दु कट्टरपंथी संगठन ऐसे ही बच्चों के हाथ में त्रिशुल 
थमाकर नकारात्मक हिंसा के रास्ते पर धकेलते है
 लेकिन उन्हे चाहिए सर्जनात्मक अभिव्यक्ति तथा अपनी
मानवीय गरीमा की पहचान

बनासकांठा तथा साबरकांठा जिल्लों के बहुत सारे आदिवासी
बहुल गांवों के बच्चे बीटी कोटन की मजदूरी के चपेट में
एक बार आ जाते हैं तो वापस स्कुल नहीं जाते
इस सर्जनात्मक शिबिर का आयोजन किया था दलित
हक रक्षक मंच तथा आदिवासी सर्वींगी विकास संघ ने