आरटीई एक्ट की सबसे अच्छी बात मुझे 25 फीसदी क्वोटावाली लगी है, परंतु
मेरे एनजीओ के दोस्तों को यह बात विवादास्पद लग रही है. कहते हैं, अमीर
बच्चों के साथ गरीबों के बच्चें पढेंगे तो कुंठीत हो जाएंगे. मैं कहता हुं,
हमारे बापदादे तो क्लासरूम के दरवाजे पर सबसे पीछे मीट्टी में बैठते थे और
पानी पीने के लिए भी तडपते थे. फीर भी उन्हे कोई रोक नहीं पाया. आज स्थिति
कई गुना बहेतर है. और वैसे भी हर पीढी को अपने हिस्सा का अपमान का घूंट
पीना लाजिमी है, इससे तो हम इन्सान बनते है.
दूसरी बात वे कहते है, इससे नीजीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा. भैया, हमारे बच्चों को अच्छी स्कुलो में पढने का मोका मीला और आप क्रान्तिकारी हो गएॽ नीजीकरण से इतना एतराज है तो उठाइए बंदुक, साफ कर देते है, सारे वर्गीय दुश्मनों को.
दूसरी बात वे कहते है, इससे नीजीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा. भैया, हमारे बच्चों को अच्छी स्कुलो में पढने का मोका मीला और आप क्रान्तिकारी हो गएॽ नीजीकरण से इतना एतराज है तो उठाइए बंदुक, साफ कर देते है, सारे वर्गीय दुश्मनों को.
फिर, आप कहते हैं कि दलितों के बच्चें अमीरों की स्कुलो में अकेले पड
जाएंगे. तो ठीक है, क्वोटा बढाकर पचास फीसदी कर देते हैं, क्लास में वोर
होगी तो भी सबको लेवल प्लेइंग फिल्ड मीलेगा. और अमीरों के बच्चों को बचपन
से चखने को मीलेगा गरीबों के बच्चों के मुक्कों का स्वाद.